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इस कविता के द्वारा कहा गया है कि छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देने से बड़े-बड़े सार्थक काम बनते हैं, जिससे धरती पर सुख-संतोष छा जाता है |
बूँद-बूँद के मिलने से
बन जाता है सागर,
सूत-सूत के मिलने से
बन जाती है चादर |
मिनट-मिनट ही तो मिलकर
बन जाता है साल,
तन-मन से तुम डटे रहो
हल होंगे सभी सवाल |
पैसा-पैसा जोड़ो तो
बन जाओगे धनवान,
थोड़ा-थोड़ा चलकर ही तो
देख सकोगे हिन्दुस्तान |
अच्छे-अच्छे काम करो
और बातें प्यारी-प्यारी,
देश हमारा झूम उठेगा
नाच उठेगी धरती सारी |
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