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आप इस हिंदी कहानी के द्वारा मेहनत, अनुशासन तथा आत्मविश्वास जैसे मूल्यों को सीख सकते हैं।
एक चींटी चने के दाल के टुकड़े के आस-पास गोल-गोल घूम रही थी। टीलू ने पूछा - "चींटी रानी, यह क्या कर रही हो?"
"मैं इस दाल को अपने बिल तक ले जाना चाहती हूँ।" कह कर चींटी
नाचने लगी।
"मैं तुम्हारे बिल तक पहुंचा दूं?" टीलू ने हमदर्दी से पूछा।
चींटी बोली- “नहीं, मैं इसे खुद ले जाऊंगी।"
"अगर तुम इसे न ले जा सकी तो क्या करोगी?" टीलू ने धीरे से पूछा।
विश्वास के साथ चींटी ने कहा- "कोशिश करने पर मैं हारूगी नहीं।"
"तुम इतनी मेहनत करोगी?" टीलू ने फिर पूछा। इस बार चीटी को गुस्सा आ गया। वह बोली- "मेहनत से काम करना बहुत अच्छी बात है। चलो अब तुम मुझे काम करने दो।" टीलू वहाँ से चुपचाप हट गया।
थोड़ी देर बाद टीलू वहाँ गया। उसने देखा कि दाल अपनी जगह पर नहीं थी। कुछ दूरी पर चींटियाँ कतार में एक के पीछे एक चने की दाल को घसीटे ले जा रही थीं।
तब टीलू को लगा-इनसे हमें सहयोग और अनुशासन भी
सीखना चाहिए।
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