रसोईघर - Kitchen (कविता)

 रसोईघर - Kitchen (कविता)


इस कविता के द्वारा रसोईघर में प्रयुक्त कुछ वस्तुओं को हिंदी शब्द के प्रयोग से कहा गया है |


रसोईघर Kitchen कविता

आज रसोईघर की खिड़की, 

मुन्ना-मुन्नी खोल रहे हैं |

अंदर देखा, चकला-बेलन, 

चाकू-छलनी बोल रहे हैं |


मैं चाकू, सब्जी-फल काटू, 

टुकड़ा-टुकड़ा सबको बाटू |

गाजर-मूली प्याज़-टमाटर, 

छीलो काटो रखो सजाकर |


गोल चाँद-सी हूं मैं थाली, 

बज सकती हूं बनकर ताली |

मुझमे रोटी-सब्जी डाली, 

और सभी ने झटपट खा ली |


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