शिक्षा

इस कविता में कवि अनुभव के दवारा शिक्षा प्राप्त करने के अनेक उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। जीवन में यश की प्राप्ति के लिए अनेक प्रकार की मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। बिना परिश्रम के हम कभी सुख प्राप्त नहीं कर सकते ।

शिक्षा


शिशु ने दुनिया में आकर,

रो-रोकर हंसना सीखा।

लघु होकर बढ़ना सीखा,

गिर-गिरकर चलना सीखा।


कितने ही चक्कर खाकर,

चंगों ने चढ़ना सीखा।

उर छेदकर अपना,

मुरली ने गाना सीखा।।


मिट-मिटकर वारिधरों ने,

पानी बरसाना सीखा।

तरु गिरिवर से गिर-गिरकर,

नदियों ने बहना सीखा।


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