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इस कविता के द्वारा बच्चे यह सीख सकते हैं कि दो व्यक्तियों के झगड़ने से तीसरे का लाभ होता है |
म्याऊँ - म्याऊं बिल्ली आई।
उठा कहीं से रोटी लाई।।
तभी दूसरी बिल्ली आई।
उसने भी कुछ अकड़ दिखाई।।
बोली - “यह तो मेरी रोटी।॥
छीन के लाई तू री खोटी ॥।
मेरी रोटी मुझको दे दे।
नहीं तो मुझसे झगड़ा ले ले।।
बंदर ने देखा यह झगड़ा।
ले तराजू वह वहाँ अड़ा।।
बोला - "झगड़ा ठीक नहीं है।
बाँट के खाना, बात सही है | |"
रोटी के दो टुकड़े कर के।
बंदर ने पलड़ों पर धर के॥।
अधिक जो देखा टुकड़ा खाया।
बड़ा दूसरा, उसे चबाया।।
रोटी थोड़ी शेष रही जब |
बंदर बोला, “सुन लो अब तुम ।
यह टुकड़ा मेरी मजदूरी |
हुई कामना मेरी पूरी ॥।
बिल्लियों के कुछ हाथ न आया।
झगड़े में था सभी गँवाया ।।
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