पूरक वाचन

पूरक वाचन

फूलों से हम हँसना सीखें
और कली से मुसकाना।
पत्तों से मस्ती में झूमें,
डाली से झुक-झुक जाना।

सीखें सीख मस्त नदियों से,
जीवन में बहते जाना। 
बोली सीखें हम कोयल से,
मधुर गीत हरदम गाना। 

चंदामामा से हम सीखें,
शीतलता बरसाना।
और मेघ से सीखें हम सब,
सूखे को सरसा देना।

ऐसी सीख सदा हम सीखें,
जिससे जीवन हरा रहे।
शिक्षाएँ हों नित ऐसी ही,
जिनसे जीवन भरा रहे।

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